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छत्तीसगढ़ के एक ऐसा स्कूल जहां बच्चों के साथ शिक्षिका भी आती हैं ड्रेस में, जानें क्या है खास वजह

A school in Chhattisgarh where the teacher also comes in dress along with the children.

दोस्तों आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने वाले हैं, जहां बच्चों के साथ शिक्षिका भी आती है स्कूल ड्रेस में आईए जानते हैं, इसकी खास वजह आखिर क्यों 30 वर्षीय शिक्षिका गाढ़ी नीली फ्रॉक और आसमानी शर्ट पहनी तथा दो चोटी लगाई 30 वर्षीय शिक्षिका जान्हवी यदु को आना पड़ता है स्कूल ड्रेस में पढ़ाने बच्चों को। A school in Chhattisgarh where the teacher also comes in dress along with the children.

  • क्लास पहली से पांचवीं तक के 350 छात्रों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
  • जान्हवी ने अपने छात्रों के बीच समुदाय, एकता और अनुशासन की भावना पैदा की है।
  • कनेक्शन लर्निंग का बेहतर तरीका

जानिए कौन है स्कूल ड्रेस वाली शिक्षिका और स्कूल का नाम

यह बात है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक सरकारी स्कूल का जहां बच्चों की तरह ठीक स्कूल ड्रेस में आती है, शिक्षिका इससे विद्यार्थी अपनी साफ-सुथरी वर्दी को लेकर जागरूक हुए, साथ ही शिक्षिका के पढ़ाये हुए पढ़ को भी तेजी से सीखने लगे, यह है राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक शाला रायपुर की बात।

छत्तीसगढ़ के एक ऐसा स्कूल जहां बच्चों के साथ शिक्षिका भी आती हैं ड्रेस

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बच्चों में भी यूनिफॉर्म के लिए दिखा उत्साह

स्कूल के हेडमास्टर एम.गुरुनाथ ने कहा कि, स्कूल में ज्यादातर बच्चे स्लम एरिया से आते हैं। पहले अधिकांश बच्चे यूनिफॉर्म न पहनकर घर के कपड़ों में ही स्कूल पहुंच जाते थे। लेकिन टीचर के नए तरीके अपनाने से बच्चे भी यूनिफॉर्म में आना पसंद कर रहे हैं। टीचर को देखकर जो बच्चे घर के कपड़ों में आते थे वह भी स्कूल ड्रेस पहन रहे हैं। साथ ही पढ़ाई में भी उत्साह दिखाते हैं।

जानिए जान्हवी का विचार ,बच्चों के प्रति

शिक्षिका यदु कहते हैं उन्हें स्कूल ड्रेस पहने का यह आईडिया इसलिए भी आया क्योंकि वह बच्चों को उचित और साफ-सुथरे तरीके से स्कूल ड्रेस पहनने के लिए प्रेरित कर सकें और बच्चे उनके द्वारा पढ़ाया गया पाठ को अच्छी तरह से समझें, क्योंकि ज्यादातर बच्चे गरीब तबके से आते हैं और उन्हें में से कई बगैर भोजन के ही स्कूल आते हैं, ऐसे में स्कूल ड्रेस के साथ बाक़ी सब के प्रति जागरूक करना ज़रूरी था एक दोस्त की तरह !

 जान्हवी ने अटूट दृढ़ संकल्प के साथ कहा, “मुझे यह समझ में आया कि सीखने की दिशा में पहला कदम अनुशासन और पहचान की भावना है। इन बच्चों को अपनेपन और एकता की भावना महसूस करने की जरूरत है।”

परिवार वालों का भरपूर समर्थन

यदु कहती है कि छात्र पहले मुझे अपने मां या अविवाहक की तरह से देखते थे, लेकिन अब मुझे वे मुझे अपने दोस्त की तरह मानते हैं, मेरी बातों को अच्छी तरह से अनुसरण करते हैं, यदु ने बताया, ”शुरुआत में मुझे डर था कि मेरा परिवार स्कूल में स्कूल ड्रेस पहनने के मेरे फैसले को अस्वीकार कर देगा. लेकिन उन्होंने बहुत सकारात्मक तरीके से मेरा समर्थन किया. स्कूल में शिक्षकों ने भी मेरा सहयोग किया.” “मुझे चिंता थी कि मेरे ससुराल वाले क्या कहेंगे, लेकिन उनका प्रोत्साहन आखिरकार मेरी ताकत बन गया।”

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कृतिका पटेल

Editor-in-Chief CG College.in

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